Last Updated on February 10, 2024 by अनुपम श्रीवास्तव
मनुष्य की जीवन यात्रा में यात्राओं का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
यात्राएं जीवन में नवीन अनुभव लेकर आती हैं, साथ ही उत्साह एवं नई ऊर्जा का संचार भी करती हैं।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि तीर्थयात्राएं ईश्वरीय आज्ञा से ही संभव होती हैं।
ऐसी ही एक यात्रा के लिए मुझे ईश्वरीय आज्ञा पिताजी के श्रीमुख से प्राप्त हुई।
पितृ आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए, जैसे ही अवकाश की पुष्टि हुई, योजना बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया।
पहली योजना वाराणसी जाने और वापिस आने तक ही सीमित थी, परंतु कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई कि हमने अयोध्या धाम को भी अपने यात्रा कार्यक्रम में सम्मिलित किया।
दूसरे चरण में सभी आरक्षण सुनिश्चित किए गए। सभी तैयारियां पूरी करने के बाद अगला चरण आया, योजना के क्रियान्वयन का, जो कि 23 दिसंबर 2023 से आरंभ हुई।
अयोध्या धाम के लिए रेल यात्रा प्रारंभ
बीना से यात्रा 23 दिसंबर 2023 को इंदौर पटना एक्सप्रेस (19321) से रात्रि 9 बजे आरंभ हुई।
इस गाड़ी में प्रथम श्रेणी वातानुकूलित कोच की सुविधा है, जिसमे यात्रा करना यात्रा को सुगम बना देता है, विशेषतः वरिष्ठ नागरिकों के लिए।
प्रारंभिक आरक्षण अयोध्या केंट स्टेशन तक था, परंतु बाद में गाड़ी का मार्ग बदल दिया गया, अतः तय किया गया कि गाड़ी को लखनऊ स्टेशन पर छोड़ कर, अयोध्या तक की यात्रा सड़क मार्ग से की जाएगी।
इसके लिए एक 12 सीटर गाड़ी (gozocab app से) बुक की गई।
परंतु बड़ी गाड़ी की अनुपलब्धता के चलते 2 गाडियां, जोकि 6 सीटर थीं gozocab ने उपलब्ध कराई।
लखनऊ पहुंचने का निर्धारित समय सुबह 0530, का था, और हम लोग लगभग एक घंटे की देरी से 0630 बजे पहुंचे, जहां दोनो गाड़ियाँ हमारी प्रतीक्षा कर रही थीं।
दोनो चालक बड़े ही सज्जन एवं सरल स्वभाव के थे, और उन्होंने हमारी यात्रा के अनुभव का सुखद होना सुनिश्चित किया।
किसी भी गाड़ी की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं की गई, और सुविधाजनक स्थानों पर गाड़ियों को रोका गया।
दोनो का आपसी सामंजस्य भी अच्छा था। दोनो वाहनों की जानकारी निम्न प्रकार से है
- Cab no:-UP32UN8892, Cab type:-Kia Carens, Mob no:-8175083777, Driver name:- Gopal Nand Rai
- Cab no:- UP32RN5494, Cab type:-Ertiga, Mob no:- 8090840010, Driver name:-Ankit Yadav
आवश्यकता होने पर इनसे सीधे संपर्क भी किया जा सकता है।
लखनऊ से अयोध्या प्रस्थान
लखनऊ से अयोध्या धाम की यात्रा सुबह 0700 बजे आरंभ हुई जहाँ नगर की ठंडक घुली हुई शीतल पवन ने हमारा स्वागत किया।
प्रातः कालीन समय में नगर में वाहनों की आवाजाही कम थी, अतः लगभग 15 मिनट में हम नगर के बाहर आगए और हमारे वाहन हवा से बातें करने लगे।
जैसा कि शीत ऋतु की भोर में वांछित होता है, हम सभी की एक गर्म चाय पीने की इच्छा हुई और साथ ही कुछ अच्छा जलपान भी करना था, सो हमने चालक महोदय से अनुरोध किया और उन्होंने बाराबंकी के पास टोल नाके के पहले एक स्थान पर वाहन रोके।
यह इसलिए भी आवश्यक था क्योंकि हमारे साथ कुछ वरिष्ठ नागरिक और बच्चे भी थे।
मधुमेह के पीड़ितों के लिए उचित समय पर खान पान आवश्यक है, अतः हम सभी ने गर्म चाय और पकौड़े का आनंद उठाया, जो कि बहुत स्वादिष्ट थे।
यदि इस मार्ग से होकर जाते हैं तो इस दुकान पर जलपान अवश्य करें।
इसके लिए टोकन लेना होगा, क्योंकि मांग अधिक है और आपूर्ति अपेक्षाकृत कम है (विशेषतः प्रातः काल में) अतः इच्छित खाद्य पदार्थ के लिए कुछ प्रतीक्षा अपेक्षित है।
श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या
लगभग 10 बजे हम अयोध्या धाम में प्रवेश कर गए, परंतु आगामी प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी के चलते पुलिस दल ने कई मार्ग बंद कर रखे थे, और पुराने नगर के संकरे मार्गों में कार या किसी भी चौपहिया वाहन का जाना संभव नहीं था।
अंततः हमने एक ई रिक्शा वाले सज्जन ( मोबाइल – 7800230716) की मदद ली, जिन्होंने हमे हमारे गंतव्य और रहवास श्री काले राम मंदिर पहुंचने में सहायता की।
श्री काले राम मंदिर में रुकने की एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था थी।
सभी परिवार जनों को भी यह बहुत भाया। श्री काले राम मंदिर में रुकने के लिए श्री राघवेन्द्र देशपांडे जी से (मोबाइल – 8808457508) संपर्क किया जा सकता है।
हम लोगों को ( हमारे साथ 6 वयस्क और 2 बच्चे थे) 3 कमरे प्रदान किए गए थे । प्रत्येक कमरे में 2 पलंग जिनपर गद्दे, तकिए और कंबल उपलब्ध थे।
संयुक्त स्नानागार कमरों के बाहर उपलब्ध थे। यह मंदिर ऐतिहासिक है और श्री नागेश्वर महादेव मंदिर एवं सरयू घाट के बहुत समीप है।
पहुंचने के बाद उन्होंने ( देशपांडे जी के परिवार ने) हमे चाय प्रस्तुत की और नहाने के उपरांत दोपहर का भोजन भी कराया।
श्री कालेराम जी के दर्शन के उपरांत हमने घर के बने सादे, ऊष्ण और स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाया।
तदुपरांत हमने ई रिक्शा वाले बंधु से संपर्क किया, और उनसे अयोध्या घुमाने का अनुरोध किया।
हमने 2 ई रिक्शा लिए ( प्रति रिक्शा 500 रुपए) और हमे उन्होंने निर्माणाधीन मंदिर, सहित राम लला मंदिर, कनक भवन, हनुमान गढ़ी, वाल्मीकि आश्रम सहित कई स्थानों के दर्शन कराए।
अंत में हमे सरयुघाट स्थित श्री गोरे राम मंदिर पर छोड़ा, जहां हमारी भेंट मंदिर व्यस्थापक श्री गणपति देशपांडे जी से हुई, जो कि श्री काले राम मंदिर वाले देशपांडे जी के बड़े भाई हैं।
उन्होंने हमे बताया कि उनके मंदिर में भी रुकने की व्यवस्था है( संपर्क 9455744025, 9453770794)।
यह मंदिर राम की पैड़ी ( सरयू घाट) पर स्थिति है।
सभी के थके होने और भूख से व्याकुल होने के कारण हम लोग संध्या की सरयू आरती और लेजर शो नही देख सके, जिसकी वहां के रहवासियों ने बहुत प्रशंसा की थी।
अंततः हम सभी ने श्री गोरे राम मंदिर से सटे एक भोजनालय में रात्रिभोजन का आनंद लिया, और पहुंच गए अपने रहवास, सभी सामान को सुव्यस्थित कर अगली प्रातः वाराणसी यात्रा की तैयारी कर ली।
इसी बीच हमने श्री देशपांडे जी का भुगतान कर दिया ( 1700 रुपए , 3 कमरों के और 800 रुपए भोजन के)। बहुधा सभी भुगतान UPI के मध्यम से किए गए।
अयोध्या धाम से वाराणसी प्रस्थान
अयोध्या से वाराणसी की यात्रा हेतु हमने इंटरसिटी एक्सप्रेस में आरक्षण कराया था, किंतु कुछ दिन पूर्व गाड़ी रद्द करने की सूचना प्राप्त हुई।
अतः हमने एक बार फिर gozocab की सहायता ली, और उन्होंने हमे एक दिन पूर्व टेंपो ट्रैवलर ( 12सीटर) की व्यस्था की और सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई।
जैसा कि सुबह के अनुभव से ज्ञात हुआ कोई वाहन श्रीकाले राम मंदिर के निकट नहीं आ सकता, अतः हमने एक बार पुनः ई रिक्शा वाले मित्र को पुकारा, और वे 2 गाड़ियाँ लेकर प्रातः उपस्थित हो गए।
हम सभी प्रातः उठकर स्नानादि से निवृत्त हो गए। देशपांडे जी ने हमे बताया कि प्रातः 7 बजे आरती करने के उपरांत ही विदा लें, अतः हमने वही किया।
हमारी टेंपो ट्रैवलर लगभग 5 किलोमीटर दूर थी, और इस दूरी को हमने ई रिक्शा से लगभग 10 से 15 मिनट में तय किया।
शीघ्र ही हमे हमारी अगली यात्रा का वाहन दृष्टिगोचर हो गया, फिर क्या था? हमने अपना सामान बड़े वाहन में रखा, सभी लोग उसमे सवार हुए और चल पड़े बाबा विश्वनाथ धाम की ओर।
इसके पूर्व हमने ई रिक्शा वाले बंधुओं से विदा ली और उनका संयुक्त भुगतान (रु 500) किया और श्री राम जी की नगरी को शीश झुकाया।
अयोध्या नगर में मंदिर निर्माण के साथ कई और निर्माण कार्य पूरे जोर से चल रहे हैं, अतः कई मार्ग बंद थे, धूल भी काफी थी। काफी सारा पैदल भी चलना था, अतः यदि छोटे बच्चे या वरिष्ठ व्यक्ति या ऐसे लोग हैं जिन्हें चलना कुछ कठिन होता है, थोड़ा अधिक समय लेकर आना श्रेयस्कर होगा।
हाल ही में बना अयोध्या धाम का विमान पत्तन भी मुख्य नगर से थोड़ा दूर है। ई रिक्शा अयोध्या की तंग गलियों के लिए अच्छा वाहन है, लेकिन सड़कों के गढ्ढे पीठ और कमर दर्द का कारण बन सकते हैं।
अब हम सब एक बस नुमा बड़ी गाड़ी में एक साथ थे, और यात्रा भी लंबी थी ( लगभग 235 km, 5 घंटे) सो हम सबने अंताक्षरी खेली।
परिवार की तीन पीढियां जब एक साथ हों तो ऐसी यात्राएं और रोमांचक हो जाती हैं।
हमारी रुचि इसमें भी थी कि वाराणसी जाने का मार्ग किन नगरों से होकर जाता है, मार्ग कैसा है और वातावरण कैसा है इत्यादि ।
बच्चे, दादी से कहानियां सुन रहे थे तो कभी उन्हें नई तकनीक से अवगत करा रहे थे।
सुल्तानपुर के आगे हम एक स्थान पर चाय और स्वल्पाहार के लिए रुके, स्थान का नाम था मोटेल एनएच-56।
नाम बड़े और दर्शन छोटे की कहावत को चरितार्थ करता, यह ढाबा नुमा रेस्टोरेंट चाय या जलपान के लिए एक उपयुक्त स्थान नहीं है।
न ही वहां के शौचालय स्वच्छ पाए गए। अस्वच्छता के साथ प्रस्तुत किए गए भोज्य पदार्थ अपने मूल्य के साथ न्याय नहीं कर रहे थे।
स्वल्पाहार के उपरांत हम पुनः चल पड़े गंतव्य की ओर।
अब आगे सड़क मार्ग दोहरा और चौड़ा था, अतः वाहन की गति बढ़ गई।
और जैसा कि अन्न के उदर में पहुंचने पर होता है, निद्रा देवी हम सब पर अपने आशीष बरसाने लगी, हम सभी ने ( बच्चों को छोड़कर) एक हल्की झपकी ली और शरीर की तैयार कर लिया आगे आने वाले चुनौतीपूर्ण मार्ग के लिए।
कुछ ही समय में हम वाराणसी के हवाई अड्डे के सामने से होते हुए इस पुरातन नगरी में प्रवेश कर गए।
– जय श्री राम –
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