Last Updated on September 14, 2024 by अनुपम श्रीवास्तव
पर्यटन की मनुष्य जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है, यह न केवल यात्रा करने वाले को विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत कराता है बल्कि भिन्न संस्कृतियों और कई व्यक्तियों से अपने अनुभव साझा करने के अवसर भी प्रदान करता है।
कुछ वर्ष पूर्व आई वैश्विक महामारी ने समूचे विश्व की गति को एक अल्पविराम दिया था, परंतु समय की शक्ति और मानव की जीवन को जीने की जिजीविषा ने इस महामारी को परास्त किया और शनैः शनैः जीवन के क्रिया कलापों ने अपनी गति को पुनः प्राप्त कर लिया है।
इसी कड़ी में शून्य हो चुके पर्यटन के क्रियाकलाप भी पुनः अपने निरंतरता को प्राप्त कर रहे हैं।
इसे देखते हुए हमने परिवार और मित्रजनों के साथ मिलकर भारत के दक्षिण पूर्व में स्थित बाली द्वीप पर जाकर कुछ दिन व्यतीत करने का तय किया।
बाली वैसे तो द्वीप है किंतु यह इंडोनेशिया देश का अंग है।
इंडोनेशिया और विशेषतः बाली भारत की संस्कृति से एक विशेष नाता रखता है, वहां की मुद्रा इंडोनेशियाई रुपिया है जो भारत के रुपए से मिलता जुलता लगता है पर यहाँ भारतीय रूपया काफी मजबूत है।
वर्ष 2022 की G20 ( विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थों वाले देशों का समूह) शिखरवार्ता भी इंडोनेशिया के बाली में ही हुई थी, जहां पर विभिन्न देशों के राष्ट्रध्यक्षो सहित अनेक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था, और यहीं से वर्ष 2023 की शिखरवार्ता की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्रीजी को हस्तांतरित की गई थी।
बाली यात्रा की योजना
संप्रति हमारी यात्रा की आम सहमति और योजना बनाना लगभग 6 मास पूर्व आरंभ किया गया, यद्यपि यात्रा और पर्यटन संबंधी जानकारी जुटाने का काम हमारे मित्र ने कई महीनो या वर्षों पूर्व आरंभ कर दिया था।
सोशल मीडिया और पूर्व में यात्रा कर चुके मित्रों से चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि घूमने के स्थानों की विविधता के चलते लगभग 10 से 15 दिन का समय ठीक रहेगा।
बाली एक ऐसा स्थान या द्वीप है जहां पर पर्यटन की विविधताओं का बाहुल्य है।
पुरातन स्थापत्य कला और स्थानीय संस्कृति की धरोहर के साक्षी मंदिर ( जो कई बातों में भारतीय संस्कृति से समय रखते हैं), धान की सीढ़ीदार खेती और हरे लहलहाते खेत और उनमें पड़े झूले, घने जंगलों से आच्छादित पहाड़, कुछ सुप्त और कुछ सक्रिय ज्वालामुखी, हिंद महासागर की सुंदरता को समेटे अदभुत समुद्री तट और कुछ इतने मनोहारी दृश्य कि वहीं बस जाने का मन हो जाए।
हमारे यात्रा दल में भिन्न आयु वर्ग के 8 लोग थे, जिनमे 4 वयस्क , 2 युवा होते बालक और 2 छोटे बच्चे जो 4 से 7 वर्ष आयु के थे।
इन सभी को ध्यान में रखकर और इतना सब जानने के बाद, यह तय करना कि कौनसे स्थान हमारे साथ जाने वाले सभी सदस्यों के लिए अनुकूल होंगे, एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।
इसके लिए हमने तय किया कि उन्ही स्थानों को यात्रा में शामिल करेंगे जहां बच्चों के साथ जाना सुगम हो साथ ही यह भी तय किया कि रुकने के स्थान पर्यटन स्थलों के यथासंभव समीप हों, जिससे सभी को पर्याप्त आराम मिले और सभी यात्रा का पूर्ण रूप से आनंद ले सकें।
कई दिन विचार मंथन के बाद हम सभी अपनी यात्रा योजना के ढांचे को अंतिम रूप दे सके, जिसमें यह तय हो गया कि कब जाना है, कितने दिनों के लिए जाना है, कैसे जाना है, कहां रुकना है और कार्यालय से कितना अवकाश लेना है।
इस तरह हमने जुलाई माह के अंतिम सप्ताह और अगस्त महीने के प्रथम सप्ताह में लगभग 12 दिनों के बाली भ्रमण की योजना के ढांचे को स्वीकार किया।
बाली यात्रा की योजना बनाने के लिए यह वेबसाइट काफी सहायक रही |
योजना का क्रियान्वन
इस समयावधि को चुनने के दो बड़े कारण थे पहला यह कि इस समय बच्चों के विद्यालय का ग्रीष्मकालीन अवकाश होता है, दूसरा यह समय बाली में पर्यटन के लिए अनुकूल है।
जैसे ही कार्यालय से अवकाश की स्वीकृति प्राप्त हुई हमने सभी आवश्यक आरक्षण करने आरंभ कर दिए।
हमने दिल्ली से बाली के बीच नित्य चलने वाली एयर विस्तारा की उड़ान का चयन किया, जो कि बाली तक जाने वाली सीधी उड़ान थी।
इसके अतिरिक्त हमने बाली के उबुद में रामा हाउस, उबुद से कुछ दूर आमेद में बाली भुवाना बीच रिसॉर्ट तथा बाली एयरपोर्ट के निकट बालिसानी स्वीट्स सेमिन्याक में रहने की सुविधाओं को सुनिश्चित कर लिया।
अब अगले चरण में यह तय किया गया कि कौन कौन से पर्यटक स्थलों का भ्रमण करना है।
यहां महत्वपूर्ण कार्य था इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी से सभी प्रकार से अनुकूल स्थानों का चयन करना।
जैसा कि पहले लिखा था, बाली में यह समय पर्यटन के लिए अनुकूल है अतः विश्वभर से बड़ी संख्या में पर्यटक इस समय बाली आते हैं, और क्योंकि भारतीय नागरिक वहां पहुंचकर भी ऑन अराईवल वीजा ले सकते हैं, अतः भारतीय पर्यटकों की संख्या भी बहुत अधिक होती है।
इस कारण कई स्थानों पर लंबी प्रतीक्षा करनी होती है अतः इस व्यस्त समयावधि में सभी को ध्यान में रखकर और समय का पूर्ण सदुपयोग हो सके ऐसी योजना बनाई गई।
इसके लिए कई प्रसिद्ध स्थानों को छोड़कर उनके जैसे ही लेकिन काम भीड़ वाले स्थानों को भी ढूंढा गया।
इतने लंबे प्रवास के दौरान सभी के लिए रुचिकर भोजन उपलब्ध कराने वाले स्थानों का पहले से चयन भी किया गया।
बाली में अधिकांश मार्ग संकरे हैं, और बहुत से पहाड़ी रास्ते भी हैं, अतः वाहनों की औसत गति 20 से 30 किमी/ घंटे से अधिक की नही होती, इस बात का भी ध्यान विस्तृत योजना में रखा गया।
हम सभी के लिए दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय यात्रा आरंभ करने के लिए सर्वाधिक सुगम है।
अतः दिल्ली से बाली के डेनपसार के लिए उड़ान की खोज की गई।
सबसे न्यूनतम समय लेने वाली विस्तारा की उड़ान सबसे अनुकूल प्रतीत हुई। यद्यपि यह सबसे सस्ते विकल्पों से कुछ महंगी थी किंतु लंबी यात्रा की कठिनाइयों को ध्यान में रखकर, हाल ही में शुरू की गई विस्तारा की सीधी विमान सेवा का चयन किया गया।
अंततः हमने योजना की तैयारियों के क्रियान्वयन वाले चरण को आरंभ किया, इसके अंतर्गत आने और जाने की उड़ानों का, होटल का, आरक्षण करा लिया गया।
बाली यात्रा जांच सूची
इंडोनेशिया स्थित बाली की यात्रा आरंभ करने के पूर्व हमने नीचे लिखी को सुनिश्चित किया
- हवाई यात्रा के टिकट
- सभी होटलों में रुकने की व्यवस्था
- ई-वीजा
- स्थानीय पर्यटन के लिए वहां की व्यवस्था
- पर्यटन कर
- सीमा शुल्क घोषणा पत्र (पहुंचने के 3 दिवस पूर्व भर सकते हैं)।
- विदेशी मुद्रा ( अमेरिकी डॉलर, लगभग 2000 डॉलर/परिवार)
प्रस्थान…
ये सारी तैयारी सुनिश्चित करने के बाद दोनो परिवार निकल पड़े अपने अपने घरों से भारतीय रेल में सवार होकर देश की राजधानी दिल्ली की ओर।
यह हमारी बाली यात्रा का प्रथम चरण था जो दिनांक 25 जुलाई को अपने तय समय पर संपन्न हुआ।
हमारी दिल्ली तक की यात्रा रेल गाड़ी के वातानुकूलित श्रेणी में थी, जिसमे सोने के लिए कंबल और चादर उपलब्ध कराई जाती है, किंतु इस यात्रा के आधी से अधिक दूरी तय करने पर भी हमे ये उपलब्ध नही कराया गया।
अंततः हमने रेल मदद आप में शिकायत की और कुछ ही मिनटों में हमे फोन कर बताया गया कि आपकी शिकायत का समाधान करने शीघ्र ही किसी को भेजा जाएगा।
इसके साथ ही कोच के चल टिकट परीक्षक महोदय भी हमसे ये जानने पहुंचे की क्या समस्या हुई है, और शीघ्र ही उन्होंने समस्या का निदान कर दिया।
दिल्ली पहुंच कर हमे पता चला कि भारतीय रेल ने हमारी अपेक्षा के विपरीत ठीक समय पर गंतव्य पर पहुंचा दिया।
हम सामान्यतया गंतव्य के अंतिम पड़ाव पर रेल गाड़ी के कुछ विलंब से पहुंचने की अपेक्षा रख सकते हैं, ऐसा विभिन्न कारणों से होता है, जिसमे पूरे देश में अपनी पूर्ण शक्ति से बरसते मेघ एक प्रमुख कारण होते हैं।
संप्रति पहला चरण समय से पूर्ण हो जाने से हमारे पास कुछ अतिरिक्त समय बचा था। अतः हमने दिल्ली स्थित रेल संग्रहालय घूमने का निर्णय लिया।
यह भारतीय रेल के इतिहास और प्रगति को जानने का एक अच्छा स्थान है। यद्यपि यहां की टिकट को खरीदने के लिए भुगतान करने का UPI माध्यम उपलब्ध न होना थोड़ा निराशाजनक था।
उड़ान से लगभग 6 घंटे पहले हम दिल्ली के इंदिरागंधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के टर्मिनल 3 पर पहुंच गए।
प्रारंभिक जांच के पश्चात द्वार पर खड़े सुरक्षा कर्मी महोदय ने हमे हवाई अड्डे के परिसर में प्रवेश की अनुमति दी।
अंदर पहुंच कर ज्ञात हुआ कि एयर विस्तारा ने अभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए चेक इन प्रक्रिया अभी आरंभ नही की थी और हमे कुछ समय प्रतीक्षा करनी होगी।
लगभग दो घंटे की प्रतीक्षा के बाद वो घड़ी आगयी जब हमने अपना सामान जमा करा दिया और बोर्डिंग पास लेकर चल पड़े सुरक्षा जांच और अप्रवासन जांच के लिए।
इसी बीच हमारे दूसरे मित्र के परिजन भी हमारे साथ जुड़ गए।
अब बच्चों को अपने मित्र मिल गए और वे अपनी अलग चर्चाओं में मग्न हो गए। सारी औपचारिकताएं पूर्ण करने के पश्चात हमारे पास कुछ समय था, अतः हम सभी यात्री प्रतीक्षालय में जा पहुंचे और अपनी रुचि अनुसार उदर को भर लिया। यह आने वाली लंबी यात्रा के लिए आवश्यक ऊर्जा की पूर्ति के लिए आवश्यक भी था।
हम सभी नियत समय से कुछ पहले पूर्व सूचित द्वार पर पहुंचे जहां पर सहयात्रियों ने पहले ही डेरा जमाया हुआ था।
हमने भी द्वार के समीप ही कुछ आसान ग्रहण कर लिए। इसी बीच हमारे दल के फोटोग्राफी में रुचि रखने वाले सदस्य जिसमे हमारे पुत्र जैसे कुछ नौसिखिए भी थे कुछ स्मृतियों को भिन्न भिन्न प्रकार से अपने कैमरों में संजोने लगे।
सभी ने अपने मोबाइल फोन को यथासंभव चार्ज कर लिया। शीघ्र ही घोषणा हुई की डेनपसार, बाली जाने वाले यात्री विमान में अपना स्थान ग्रहण करने हेतु द्वार से प्रवेश करें और विमान में अपने नियत स्थान पर बैठ जाएं।
शीघ्र ही हम सभी विमान में अपने स्थानों पर विराजमान हो चुके थे। इस विमान की चौड़ाई अधिक थी और इसमें 9 सीटें थीं तथा दो गलियारे।
हम सभी एक कतार में बैठे थे, अपना सामान उचित स्थानों पर रखकर कुर्सी की पेटी को बांध कर उड़ान के लिए तैयार हो गए।
प्रत्येक कुर्सी के सामने दी गई स्क्रीन पर सुरक्षा जानकारी दी जाने लगी।
विस्तारा ने सुरक्षा जानकारी का एक अद्भुत और नवीन प्रकार का वीडियो बनाया था। इसमे योग और भारत के कुछ सुंदर दर्शनीय स्थलों के साथ मिश्रित कर विमान सुरक्षा संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई गई थी।
कुछ ही समय में हमारा विमान पवन के वेग से उड़ते हुए बाली की ओर अग्रसर हो गया।
उड़ान भरने के लगभग दो घंटे बाद हम बंगाल की खाड़ी के ऊपर उड़ान भर रहे थे, जहां पर अचानक आए विक्षोभ के कारण विमान डगमगाने लगा और अचानक नीचे की ओर आया।
इन झटकों के कारण सभी यात्री तनाव में आ गए, पर विमान चालक महोदय ने स्थिति को संभाला और धीरे धीरे विमान सामान्य हुआ और भय की छाया में हम सभी अपने गंतव्य के समीप पहुंच गए।
दिल्ली से डेनपसार बाली की दूरी लगभग 5800 किलोमीटर है, जिसे सीधी उड़ान के द्वारा लगभग 7 घंटे में पूरा किया जा सकता है।
हमारे विमान के कप्तान ने हमे बताया कि अधिकांशतः मौसम साफ होने के बाद भी इस समय ( भारत में मॉनसून के महीनों में ) दक्षिण पूर्व एशिया के ऊपर खराब मौसम ( टर्बुलेंस) के होने की संभावना बहुत अधिक होती है, जिसके कारण विमान में उड़ान की अवधि में झटके अधिक महसूस किए जाते हैं।
26 जुलाई 2024 की सुबह विमान के चालक दल ने घोषणा की शीघ्र ही हम अपने निर्धारित गंतव्य स्थान पर उतरेंगे।
विमान जैसे धरती पर उतरा और अपनी स्थिर मुद्रा में आया हम सभी एक थका देने वाली यात्रा के एक और चरण के संपन्न होने पर प्रसन्न थे।
विमान से बाहर दृष्टिगोचर होता स्पष्ट नीला आकाश, प्रातः की कोमल धूप की किरणे और हरितिमा आच्छादित बाली की भूमि ने हमारा स्वागत किया।
डेनपसार हवाईअड्डा दोनो ओर से समुद्र से घिरा हुआ है, यह नीला समुद्र पूरे दृश्य को और भी अधिक मनोहारी बना देता है।
विमान कर्मी दल ने हमे बताया कि बाहर का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस है, जो कि शीतलता का एक सुखद अनुभव देता है।
क्रमशः ….
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