Last Updated on April 9, 2023 by अनुपम श्रीवास्तव
सप्तश्रृंगी माता का यह प्रसिद्द शक्तिपीठ (Saptashrungi mata mandir Nashik) नाशिक से मात्र 65 किलोमीटर दूर, सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में, एक ऊंची सी चोटी पर स्थित है |
नाशिक से सप्तश्रृंगीगढ़ जाते समय अंगूर के हरे भरे बाग, धुंध भरे वन, जलाशय, जलप्रपात, अति दुर्लभ जड़ी बूटी और औषधीय पेड़ पौधे बरबस ही आपका मन मोह लेंगे |
सच कहूं तो नाशिक आने के बाद यदि आप सप्तश्रृंगी देवी के मंदिर नहीं जाते हैं तब आप निश्चित ही बहुत कुछ मिस करेंगे क्योंकि यह नासिक में घूमने की बेहतरीन जगह है |
सबसे पहले तो आप को यह बताते चलें कि सप्तश्रुंगी गड, माता मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है जो लगभग 4500 फीट ऊँचाई पर स्थित है |
दूसरी आवश्यक बात कि यहाँ पर भारत का पहला फ़्यूनीक्यूलर रोपवे (India’s first funicular ropeway) है जो आपको केवल यूरोपीय देशों जैसे स्विट्ज़रलैंड में ही देखने को मिलेगा |
लेकिन आपको अब चिंता करने की कोई बात नहीं क्योंकि अब आप इसका आनंद भारत में भी ले सकते हैं |
इस Saptashrungi holiday guide में हम आपको बताएँगे कि सप्तश्रृंगी माता के मंदिर कैसे जाएँ, क्या क्या देखें और इस अनोखे रोपवे की बुकिंग कहाँ से और कैसे करें?
फिर देर किस बात की, आइये हमारे साथ saptashrungi mata mandir की आलौकिक यात्रा पर |
सप्तश्रृंगी माता मंदिर की यात्रा गाइड | Saptashrungi Trip Guide
वैसे देखा जाये तो महाराष्ट्र में गोवा जैसे अनेकों प्रसिद्द और घूमने की जगहें हैं पर सप्तश्रृंगी माता का पवित्र स्थान उन सबसे तनिक भिन्न है |
अध्यात्म के अलावा इस स्थान पर जहाँ आप प्रकृति से दो चार कर सकते हैं वहीँ यूरोप की तर्ज पर चलने वाली भारत की पहली फ़्यूनीक्यूलर ट्राली या रोपवे (ropeway) का आनंद भी ले सकते हैं जिसकी शुरुआत 2018 के मध्य में हुई थी |
सप्तश्रृंगी (Saptashrungi) का शाब्दिक अर्थ है सात (सप्त) शिखर (श्रृंग) और यह नाशिक से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर नंदूरी ग्राम, तालुका कालवन में स्थित है |
यहाँ सप्तश्रृंगी माता का एक मंदिर है जो सात पर्वतों की चोटियों (जिसे यहाँ गढ़ भी कहते हैं ) से घिरा हुआ है इसीलिए इसका एक नाम सप्तश्रृंगीगढ़ भी है।
इस मंदिर को महाराष्ट्र के “साढ़े तीन शक्ति पीठों” में से एक के रूप में भी जाना जाता है।
18 भुजाओं वाली सप्तश्रृंगी माता का यह मंदिर सदियों पुराना है और इसके आस पास के जंगलों (दंडकारण्य) का उल्लेख रामायण में भी आता है |
आइये जानते हैं सप्तश्रृंगी यात्रा से जुड़ी कुछ ज़रूरी जानकारियां :-
1. सप्तश्रृंगी गड कैसे जाएँ | How to Reach Saptashrungi Mata Mandir?
निकटतम रेलवे स्टेशन
नाशिक रोड (Nashik Road)- सप्तश्रृंगी से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |
नाशिक रोड सेंट्रल रेलवे का मुख्य रेलवे स्टेशन है और यह भारत के सभी कोनों से जुड़ा है |
निकटतम हवाई अड्डा
नाशिक– अभी एयर इंडिया की सीधी उड़ान सिर्फ अहमदाबाद और पुणे से है |
आने वाले समय में मुंबई और दिल्ली से सीधी उड़ाने शुरू होने वाली हैं |
इसके अलावा मुंबई एअरपोर्ट (250 कि.मी.) और पुणे हवाई अड्डे (275 कि.मी.) से भी यहाँ पंहुचा जा सकता है |
सड़क मार्ग से कैसे जाएँ?
सप्तश्रुंगी गड, माता मंदिर की मुख्य शहरों से दूरी :-
नाशिक (Nashik to Saptashrungi distance) | 65 कि.मी. |
शिर्डी (Shirdi to Saptashrungi distance) | 145 कि.मी. |
मुंबई (Mumbai to Saptashrungi distance) | 235 कि.मी. |
पुणे (Pune to Saptashrungi distance) | 276 कि.मी. |
वणी (Vani to Saptashrungi distance) | 22 कि.मी. |
मेरे हिसाब से व्यक्तिगत कार/टैक्सी यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा साधन है |
नाशिक से हमलोग सप्तश्रृंगी माता के मंदिर तक इन्नोवा गाड़ी से आये थे जिसका किराया लगभग 2800 रु पड़ा था |
यदि आप छोटी टैक्सी जैसे टाटा इंडिका इत्यादि लेते हैं तब आपको आने जाने का किराया लगभग 1500-2000 तक पड़ेगा |
आप चाहे तो नाशिक से सेल्फ ड्राइविंग कार का आप्शन भी चुन सकते हैं |
केंद्रीय बस स्टैंड (CBS), नाशिक से MSRTC की कई बसें हैं (सुबह 5 :30 से रात 9 :30 तक, हर आधे घंटे में ) जो आपको नंदूरी गाँव (सप्तश्रृंगी तलहटी) तक ले जाती हैं |
नंदूरी गाँव से आप सप्तश्रृंगी देवी मंदिर तक स्थानीय जीप ले सकते हैं।
2. कितने समय तक सप्तश्रृंगी में ठहरें | Time to stay in Saptashrungi?
वैसे तो यहाँ आने के बाद आप 2-5 घंटों में ही सब कुछ देख लेंगे पर यह समय कुछ कम है |
हमारे हिसाब से यहाँ पर एक दिन रुकने की सलाह दी जाती है जिससे आप यहाँ की सुन्दरता का आनंद ले सकें |
3. सप्तश्रृंगीगढ़ की यात्रा का बेहतरीन मौसम क्या है | Best Season to Visit Saptshringigarh?
सर्दियों में अक्टूबर से फरवरी का समय सप्तश्रृंगी गड आने के लिए बेहतरीन है |
इस समय दिन का मौसम घूमने लायक रहता है पर रात में ठण्ड हो जाती है |
हमने सप्तश्रृंगी गढ़ की यात्रा दिसम्बर माह में की थी जो यहाँ के लिए बहुत ही अनुकूल समय था |
जुलाई से सितम्बर का समय वर्षा का रहता है और इस समय भूस्खलन का खतरा रहता है |
गर्मियों के मौसम में (मार्च से जून) दिनभर बहुत गर्मी रहती है इसलिए ये समय भी उचित नहीं है |
4. सप्तश्रुंगी गड में कहाँ रुकें | Where to Stay in Saptashrungigarh?
नाशिक और नजदीकी वणीं क्षेत्र में कई होटल, धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस हैं |
सप्तश्रृंगी माता के मंदिर के निकट ही नए फ़्यूनीक्यूलर रोपवे काम्प्लेक्स (saptashrungi ropeway complex) में भी होटल बुक कर सकते हैं (किराया 500 से 2500 रु)
श्री सप्तशृंग निवासिनी देवी ट्रस्ट की धर्मशाला और भक्त निवास (किराया 200 से 1200 रु) मंदिर के पास ही स्थित हैं जहाँ ठहरा जा सकता है, संपर्क करें : (02592)-253351
5. यात्रा थीम | Saptashrungi Travel Theme
अध्यात्म, प्रकृति, भारत की पहली फ़्यूनीक्यूलर रेल यात्रा, ट्रेकिंग
6. सप्तश्रृंगी में महत्वपूर्ण घटनाएँ और त्यौहार क्या हैं | Important Festivals in Saptashrungi
♣ सितंबर / अक्टूबर माह में नवरात्रोत्सव और दशहरा |
♣ अप्रैल माह में चैत्र उत्सव |
7. सप्तश्रृंगी देवी मंदिर के बारे में में जानकारी | Saptashrungi Devi Story in Hindi
सह्याद्री पर्वत श्रृंखला पर बने सप्तश्रृंगी माता के इस मंदिर पास जहाँ एक ओर गहरी खाई है वहीँ दूसरी ओर ऊंचे ऊंचे पहाड़ भी मौजूद हैं |
आठ से दस फुट ऊंची देवी माँ की मूर्ती की 18 भुजाएं हैं जो विभिन्न अस्त्र शस्त्रों से सुशोभित है ।
कहते हैं कि ये वही अस्त्र हैं जो देवताओं ने महिषासुर राक्षस से लड़ने के लिए उन्हें प्रदान किए थे।
सप्तश्रृंगी देवी मंदिर नाशिक, भारत में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है और मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती की दाहिनी भुजा गिरी थी |
मुख्य अस्त्र हैं : त्रिशूल, चक्र, शंख, अग्नि दाहक, धनुष-बाण, वज्र , घंटा, दंड, स्फटिकमाला, कमंडल, सूर्य की किरणें, तलवार, हार, कुंडल , परशु, कवच, कमलाहार, हिमालय का रत्न, सिंह वाहन ।
सप्तश्रृंगी देवी की प्रतिमा सिन्दूरी है और उनका अलंकरण पारंपरिक साड़ी और गहनों में ही होता है |
अत्यंत तेजस्वी नेत्रों वाली यह प्रतिमा पूरे वर्ष के दौरान दो रूपों में दिखाई देती है |
कहते हैं कि देवी मां का रूप चैत्र माह में प्रसन्न मुद्रा में तो अश्विन माह में धीर-गंभीर दिखाई देता है |
सप्तश्रृंगी माता की पूजा अर्चना यहाँ पर तीन रूपों में भी की जाती है- महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती |
प्रत्येक पूर्णिमा, राम नवमी, दशहरा, गुड़ी पर्व, गोकुलाष्टमी और नवरात्रि के दिन मंदिर में अतिशय भीड़-भाड़ रहती है और श्रद्धालुओं का ताँता बंधा रहता है |
चैत्रोत्सव यहाँ का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है और इस समय भक्त सम्पूर्ण पहाड़ी की प्रदक्षिणा करते हैं |
आम दिनों में सप्तश्रृंगी माता का दरबार (vani saptashrungi temple timings) सुबह 6 :00 से लेकर रात के 8:00 बजे तक खुला रहता है पर विशिष्ट पर्वों पर यहाँ पूरी रात भी दर्शन होते हैं |
सुबह की ककड़ आरती 5:30 पर और शाम की अंतिम आरती 7:00 बजे होती है |
सप्तश्रृंगी रोपवे की पूरी जानकारी | Saptashrungi Mata Mandir Ropeway Information
सप्तश्रृंगी में पहले माता के दरबार जाने के लिए 510 सीढियां (steps in saptashrungi temple) चढ़नी पड़ती थीं पर अब मंदिर तक जाना बहुत ही आसान हो गया है |
ऐसा इसलिए क्योंकि अब सप्तश्रृंगी में भारत के पहले फ़्यूनीक्यूलर रोपवे की शुरुआत हो चुकी है |
जैसे ही आप पहाड़ी चढ़ने के बाद मंदिर क्षेत्र में प्रवेश करेंगे बस आपके बाईं ओर ही रोपवे कॉम्प्लेक्स है और आपको वहीँ जाना है |
सप्तश्रृंगीगड में आने के बाद आप को किसी भी चीज़ की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सभी सुविधाएं भीतर ही मौजूद हैं |
उदहारण के लिए पार्किंग, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट, पूजा के लिए सामान और भी बहुत कुछ आपको काम्प्लेक्स के भीतर ही मिल जायेगा |
काउंटर पर टिकट लेने के बाद आप सीधे अन्दर जाएँ और आप पाएंगे की भीतर एक संसार है जहाँ ज़रुरत का सब कुछ मिलता है |
इस स्थान पर साफ-सफाई और पूरी व्य्स्वस्था चाक चौबंद है |
मुफ्त पीने का पानी और स्वच्छ शौचालय भी इस कॉम्प्लेक्स में उपलब्ध हैं |
रोपवे के लिए ऑनलाइन व्यवस्था हाल ही में शुरू की गयी है और इसके अलावा आप यहाँ आ कर भी टिकट ले सकते हैं |
काम्प्लेक्स में प्रवेश एक स्मार्ट कार्ड के माध्यम से होता है |
हमें जो भी टिकट मिलता है वह वापसी का होता है और आप ऊपर जितना चाहे उतना समय व्यतीत कर सकते है |
पर यह किसी पर्व के दौरान संभव नहीं है जब बहुत अधिक भीड़-भाड़ रहती हो |
ट्राली में एक समय लगभग 60 लोग बैठ सकते हैं और मंदिर तक जाने के लिए यह हर 5-15 मिनट (भीड़ को देखते हुए ) पर उपलब्ध रहती है |
यदि आप के पास समय की कमी है तब आपको पार्किंग में कार रखने से लेकर दर्शन कर वापस आने में लगभग 1-2 घंटे लग सकते हैं (यह निर्भर करता है कि आप किस समय जा रहे हैं ) |
इस क्षेत्र का सम्पूर्ण आनंद लेने के लिए आप मुख्य पर्वों, मंगलवार, शुक्रवार या सप्ताहांत को छोड़कर आयें तो बेहतर रहेगा |
हम यहाँ सोमवार को आये थे और इस दिन बहुत ही कम भीड़ थी |
आइये जानते हैं Saptashrungi Ropeway से जुडी कुछ ज़रूरी जानकारियां :-
1. रोपवे कंपनी कौन सी है?
सुयोग ग़ुरबक्सणी फ़्यूनीक्यूलर रोपवेज़ प्राइवेट लिमिटेड
2. सप्तश्रृंगी मंदिर तक का सफ़र में कितना समय लगता है?
1-2 मिनट
3. रोपवे से क्या फायदा है?
510 सीढियां नहीं चढ़नी पड़ती हैं
4. सप्तश्रृंगी रोपवे टिकट का प्राइस कितना है | Saptashrungi Ropeway Ticket Price
110 रु (साधारण ) / 55 रु (12 वर्ष से कम और 75 वर्ष से अधिक )
यह दोनों तरफ का किराया है |
5. सप्तश्रृंगी रोपवे चलने का समय क्या है | Saptashrungi Gad Ropeway Timings
♣ रवि – गुरु : 06 am-09 pm
♣ शुक्र -शनि : 06 am – 8 pm
6. कोच की क्षमता कितनी है?
60 व्यक्ति एक बार में
7. सप्तश्रृंगी रोपवे काम्प्लेक्स की सुविधाएं क्या हैं | Saptashrungi Ropeway Complex Facilities
- पार्किंग (50 रु प्रति घंटे )
- गेस्ट हाउस
- फ़ूड कोर्ट
- प्रसाद की दुकाने
- स्वच्छ प्रसाधन
- व्हीलचेयर
- पीने का पानी
- एस्कैलेटर
- जूता जमा घर
- और भी बहुत कुछ
8. सप्तश्रृंगी रोपवे ऑनलाइन बुकिंग कैसे करें | Saptashrungi Ropeway Online Booking
सप्तश्रृंगी रोपवे ऑनलाइन यहाँ से बुक करें
वैसे आप काउंटर पर जा कर भी टिकट ले सकते हैं |
9. फुनिकुलर रोपवे क्या है और कैसे काम करता है?
फुनिकुलर रोपवे परिवहन के संसाधनों में से एक है जो खड़ी और तीव्र कोणीय झुकाव वाली ढलानों पर एक केबल के माध्यम से आती जाती है |
यह प्रणाली कुछ वैसे ही कार्य करती है जैसा बचपन में हम पुल्ली सिस्टम के बारे में फिज़िक्स में पढ़ा करते थे जिसके दोनों ओर भार लटका रहता था (तस्वीर देखें ) |
अब मान लें कि यह दोनो भार एक जोड़ी रेल कोच हैं जिन्हें चरखी (pulley) के माध्यम से केबल द्वारा खींचा जाता है |
चरखी को घुमाने के लिए हाई पॉवर मोटर (ऊपर तस्वीर देखें ) का प्रयोग किया जाता है |
रेल कोच स्थायी रूप से केबल के सिरों से जुड़े होते हैं और एक-दूसरे को काउंटर बैलेंस करते रहते हैं |
वे सामान रूप से चलते हैं, इसका मतलब जबकि एक कोच ऊपर चढ़ रहा होगा उसी समय दूसरा कोच ट्रैक पर उतर रहा होगा |
सप्तश्रुंगी गड में घूमने की जगह | Places to Visit in Saptashrungi Gad
अगर आप के पास समय की कमी है तब आप सप्तश्रुंगी माता के दर्शनों के बाद ही वापस जा सकते हैं पर यह ध्यान रखें कि यहाँ और भी कई स्थान ऐसे हैं जहाँ आप ज़रूर घूमना चाहेंगे |
मेरे हिसाब से यहाँ एक दिन रुकना बेहतर होगा जिससे आप सम्पूर्ण क्षेत्र का आनंद ले सकें |
सप्तश्रृंगी रोपवे काम्प्लेक्स से लगभग आधा किलोमीटर दूर अति प्राचीन शिव मंदिर है जिसे देखना न भूलें |
यदि आप बारिश के समय यहाँ आएंगे तब आप को बहुत सारे झरनों के भी दर्शन हो जायेंगे |
पहले, इस स्थान पर 108 कुंड हुआ करते थे थे पर अब 10 से 15 ही दिख पाते हैं क्योंकि कुछ रास्ते या तो बंद हो चुके हैं या फिर बहुत दुर्गम हैं ।
शिव मंदिर के पास ही मारुति मंदिर, दाजीबा महाराज की समाधि, सूर्यकुंड और कालिकुंड हैं।
इन दोनो कुंडों को अवरुद्ध किया गया है और उसी कुंड के पानी का उपयोग माता भगवती के दैनिक स्नान के लिए किया जाता है।
कुंड से नीचे उतरकर कुछ ही दूर चलने पर पहाड़ियों की श्रंखला देखने को मिलती है जिसके लिए व्यू पॉइंट भी बनाये गए हैं |
यहाँ बहुत सारे बन्दर हैं और उन्हें खिलाने के लिए चने भी मिलते हैं |
यह स्थान ऐसा है जिसे छोड़ कर आने का मन नहीं करता है |
साल भर, सप्तश्रृंगी श्रृंखलाओं पर जाने के लिए कई पहाड़ी ट्रेक (trekking in saptashrungi) भी आयोजित किए जाते हैं।
इसमें भाग लेने के लिए संबंधित वेबसाइट या कार्यालय में पूर्व पंजीकरण करने की आवश्यकता होती है।
विभिन्न ट्रेक अधिकतम 4200 फीट तक की ऊंचाइयों तक जाते हैं।
इस प्रकार के अभियान लगभग 3-5 दिनों तक चलते रहते हैं और प्रति व्यक्ति किराया लगभग 4000-5000 रु रहता है |
सप्तश्रृंगी माता मंदिर की यात्रा के लिए उपयोगी टिप्स | Saptashrungi Travel Tips
1. मुख्य पर्वों (पूर्णिमा , चैत्रोत्सव, राम नवमी, दशहरा, गुड़ी पर्व, गोकुलाष्टमी और नवरात्रि), मंगलवार, शुक्रवार या सप्ताहांत को इस स्थान पर बहुत भीड़ रहती है |
2. मंदिर तक जाने के लिए रोपवे सुविधा यहाँ प्रारंभ हो गयी है |
3. ऊपर तक जाने के लिए लगभग 500 सीढियां हैं जिनपर धूप और बारिश से बचने के लिए छज्जे भी बनाये गए हैं |
4. यदि आप सीढ़ियों से जाना चाहें तो आरामदायक कपड़े पहने और पानी साथ ले कर जाएँ |
5. मंदिर और आस पास के क्षेत्रों में बहुत सारे बन्दर हैं इसलिए अपने सामानों की सुरक्षा करें |
6. 500 मीटर की दूरी पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर, कुंड और आस पास पहाड़ियों की श्रंखला देखना न भूलें |
7. नाशिक से यहाँ पर आने के लिए अपनी व्यक्तिगत गाड़ी बुक करना ही ठीक रहेगा |
8. ट्रॉली कॉम्प्लेक्स में ही एक विशाल पार्किंग स्थल है जिसका उपयोग करें।
9. सड़कों के किनारे खड़े लोगों पर विश्वास न करें क्योंकि वो लोग आपको स्टालों के पास सड़क के किनारे पार्क करने के लिए कहेंगे और 300 रुपये से ऊपर का शुल्क भी लेंगे।
10. काम्प्लेक्स के भीतर ही प्रसाद मिल जाता है इसलिए बाहर के स्टालों पर न जाएँ | यहाँ पर फ़ूड कोर्ट भी है जहाँ सब तरह के खान-पान की व्यवस्था है |
11. दर्शन के बाद बाहर निकलने पर 10 रु में प्रसाद का पैकेट मिल जाता है |
12. भोजन करने के बाद तुरंत बाद ही यात्रा न करें क्योंकि यह एक पहाड़ी स्थान है जहाँ बहुत ही घुमावदार मोड़ हैं |
13. भक्त निवास, धर्मशाला, प्रसादालय और प्राइवेट गेस्ट हाउस यहाँ पर उपलब्ध हैं | इसके अलावा यहाँ पर एटीएम की सुविधा भी है |
और अंत में…
यदि आप नाशिक घूमने आये हैं तब आपको सप्तश्रृंगी माता का यह शक्तिपीठ बिलकुल भी मिस नहीं करना चाहिए |
सप्तश्रृंगी देवी का मंदिर इस क्षेत्र में बहुत ही प्रसिद्द है पर इस स्थान के बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है |
यहाँ पर आने के बाद ही आपको इस स्थान की विविधता और विशेषता का पता चलेगा |
यदि आप नासिक आते हैं तो कुछ घंटों का समय निकालें और इस स्थान को अपनी यात्रा सूची में ज़रूर डालें |
मेरी यह कोशिश रहती है कि बड़ी ही सरल भाषा में आपको सभी जानकारी दी जाये जिससे आपको यात्रा करने में कोई परेशानी न हो |
आप हमें कमेंट करें और बताएं यह Saptashrungi holiday guide आपको कैसी लगी और आप इस स्थान के बारे और क्या जानना चाहते हैं ?
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| जय माता दी |
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आने वाले समय में अवश्य आयेगा |
धन्यवाद
बहोत ही सुंदरता और सरलता से श्रप्तश्रृंगी माता के दर्शन हेतु आपने जानकारी और विस्तार से विवरण किया हैं । इससे हमें श्रप्तश्रृंगी माता के दर्शन के लिये जाने में मद्दत मिलेंगी ।
धन्यवाद आपका
आभार आपका मिलिंद जी | नाशिक से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए हमें कमेंट करें |
your articles are really informative. thanks
Thanks. keep Visiting
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आभार, विजिट करते रहें |