शोर मंदिर महाबलीपुरम यात्रा गाइड [कैसे जाएँ, क्या देखें, किराया]

Last Updated on July 30, 2023 by अनुपम श्रीवास्तव

शोर मंदिर जिसे शोर टेंपल (shore temple in hindi) या तटीय मंदिर भी कहते हैं तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम में स्थित एक विश्व प्रसिद्द दर्शनीय स्थल है | 

तटीय मंदिर पल्लव वास्तुकला का एक खूबसूरत नमूना है और इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी प्राप्त है |

इस उत्कृष्ट मंदिर को शोर टेंपल इसलिए कहते हैं क्योंकि यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के निकट ही स्थित है |

महाबलीपुरम के शोर मंदिर में भगवान् शिव और विष्णु विराजमान हैं और समुद्र के बिलकुल पास होने के कारण यहाँ का दृश्य बहुत ही रोमांचक और आकर्षक है |

हमारी तीन दिवसीय चेन्नई यात्रा के दौरान, दूसरे दिन महाबलीपुरम देखने का प्लान बना और यकीन मानें यह हमारे लिए एक अनोखा अनुभव था | 

वैसे देखा जाये तो महाबलीपुरम में देखने के लिए ढेरों स्थान हैं पर शोर मंदिर इन सबमे से बेहतरीन और फोटोजेनिक है |

हमारी इस बातचीत के दौरान आप जान पाएंगे :-

  • महाबलीपुरम के तटीय मंदिर का इतिहास 
  •  शोर मंदिर कैसे जाएँ?
  • प्रवेश शुल्क और किराये की जानकारी 
  • ऑनलाइन टिकट बुकिंग कैसे करें ?
  • तटीय मंदिर के आस पास क्या क्या देखें?
  • आपकी यात्रा को और भी बेहतरीन बनाने के लिए उपयोगी यात्रा टिप्स 

तो फिर देर किस बात की, आइये आपको ले चलते हैं महाबलीपुरम के शोर मंदिर की अनोखी यात्रा पर |

विषय-सूची छिपाएं

शोर मंदिर महाबलीपुरम की जानकारी | Shore Temple Mahabalipuram

shore temple mahabalipuram

शोर टेम्पल की यात्रा थीम क्या है? 

धार्मिक, पुरातात्विक, समुद्र तट, प्राकृतिक सुंदरता

शोर मंदिर कहां स्थित है | Where is mahabalipuram temple Located?

शोर मंदिर तमिलनाडु के महाबलिपुरम में स्थित है और यह प्रसिद्द स्थान चेन्नई से लगभग 60 किलोमीटर दूर है |

महाबलीपुरम के तटीय मंदिर कैसे जाएँ | How to go Shore Temple Mahabalipuram?

सड़क मार्ग |By Road

महाबलिपुरम तमिलनाडु के प्रमुख शहरों चेन्नई, पांडिचेरी, मदुरै और कोयम्बटूर आदि से सड़क मार्ग से जुड़ा है।

राज्य परिवहन निगम की नियमित बसें अनेक शहरों से महाबलिपुरम के लिए जाती हैं।

CMBT कोआम्बेडु बस टर्मिनल, चेन्नई से महाबलीपुरम के लिए प्रति दिन 5 से 8 सिटी बसें उपलब्ध हैं जिनका किराया 28 से 35 रु तक है |

चेन्नई से महाबलीपुरम तक एक तरफ की टैक्सी का किराया लगभग 800-1000 रु है वहीँ दोनों ओर का किराया लगभग 2000-2500 रु आता है  |

हमने 12 घंटे के लिए टैक्सी बुक की थी जिसका किराया हमें 2500 रु पड़ा था |

रेल मार्ग | By Train

महाबलिपुरम का निकटतम रेलवे स्टेशन चेन्गलपट्टू जंक्शन है जो यहाँ से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

चेन्नई और दक्षिण भारत के अनेक शहरों से यहां के लिए रेलगाड़ियों की व्यवस्था है।

वायु मार्ग | ByAir

महाबलिपुरम से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चेन्नई में निकटतम एयरपोर्ट है।

भारत के सभी प्रमुख शहरों से चेन्नई के लिए सीधी उड़ाने हैं।

चेन्नई से महाबलीपुरम जाने का सबसे आसान और सस्ता साधन क्या है?
  • चेन्नई से चेन्गलपट्टू तक के लिए लोकल ट्रेन पकड़ें जिसका किराया 15 रु है और यह आपको अपने गंतव्य स्थान पर डेढ़ घंटों में पंहुचा देगी |
  • इसके बाद चेन्गलपट्टू से महाबलीपुरम के लिए लोकल बस सुविधा का लाभ उठायें जिसका किराया भी लगभग 15 रु ही होता है |

महाबलीपुरम मंदिर का प्रवेश शुल्क कितना है | ऑनलाइन टिकट बुकिंग कैसे करें?

mahabalipuram ticket online booking

टिकट काउंटर महाबलीपुरम में उपलब्ध हैं |

भारतीयों के लिए 40 रुपये और विदेशियों के लिए 600 रुपये जिसमे पांच रथ और तटीय मंदिर आते हैं ।

12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रवेश निःशुल्क है।

यदि आप महाबलीपुरम के विभिन्न मंदिरों के लिए ऑनलाइन टिकट बुक करना चाहते हैं अब आप भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की वेबसाइट से इसे बुक कर सकते हैं |

महाबलीपुरम और शोर मंदिर का ऑनलाइन टिकट यहाँ से बुक करें |

आपको इस वेबसाइट पर जाकर चेन्नई को चुनना है फिर स्मारकों (monuments) में Group Of Monuments, Mamallapuram (ममाल्लापुरम) चुनें |

इसके बाद दिन का चुनाव करें, कुल व्यक्तियों की जानकारी और पहचान पत्र की जानकारी भरें और पेमेंट कर दें |

शोर मंदिर में कितना समय रुकना चाहिए? 

1- 2 घंटे   

सुबह 10 बजे से पहले या शाम 4 बजे के बाद का समय बेहतरीन है |

शोर मंदिर के दर्शनों का समय क्या है | Shore Temple Mahabalipuram Timings

प्रातः 6 बजे से सायंकाल 6 बजे तक |

टिकट की बिक्री सायंकाल 05:30 पर बंद हो जाती है | 

महाबलीपुरम जाने का सबसे अच्छा मौसम कौन सा है | Best Time to Visit Mahabalipuram

महाबलीपुरम में साल भर मध्यम और आर्द्र जलवायु होती है वैसे देखा जाये तो यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के महीने का है।

शोर मंदिर के आसपास कहां रुकें | Places to Stay in Mahabalipuram

यदि आप महाबलीपुरम के तटीय मंदिर की खूबसूरती को तसल्ली से निहारना चाहते हैं तो इन बेहतरीन  विकल्पों पर ध्यान दे सकते हैं –

विनोधारा गेस्ट हाउस – तटीय मंदिर से 300 मीटर दूर  |  किराया  : 500 – 800 रु 

सिल्वर मून गेस्ट हाउस – शोर मंदिर  से 300 मीटर दूर  | किराया  :1200  – 1500 रु 

होटल महाब – शोर टेम्पल से 300 मीटर दूर  | किराया  : 2200 – 2500 रु 

रैडिसन ब्लू होटल – शोर मंदिर से 900 मीटर दूर  | किराया  : 10000  – 15000 रु 

ग्रांडे बे रिज़ॉर्ट और स्पा – शोर मंदिर  से 1 किलोमीटर दूर  | किराया  : 14000  – 18000 रु 

तट मंदिर महाबलीपुरम का इतिहास क्या है | History of Shore Temple Mahabalipuram

तटीय मंदिर चेन्नई से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महाबलीपुरम के विभिन्न मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण काले ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया था |

प्राचीन काल में महाबलीपुरम को ममल्लापुरम के नाम से भी जाना जाता था |

शोर मंदिर किसने बनवाया था | Who Built Shore Temple at Mahabalipuram?

महाराज नृसिंहवर्मन प्रथम ने सबसे पहले 630 ई.पू. के आसपास आज के महाबलीपुरम को ममल्लापुरम का नाम दिया था जिसमे ममल्ला का अर्थ है “महान योद्धा” |

नृसिंहवर्मन प्रथम ने करीब 38 वर्षों तक शासन किया और बहुत सारे मंदिरों और मूर्तियों का निर्माण कराया |

हांलाकि पल्लव शासक मुख्य रूप से भगवान शिव के उपासक थे  परन्तु उन्होंने अन्य हिंदू देवी-देवताओं और अन्य धार्मिक परंपराओं के लिए समर्पित मंदिरों का भी  निर्माण किया था |

इसके बाद शोर मंदिर का निर्माण महाराज नृसिंहवर्मन द्वितीय ने 700 से 728 ई.पू. के बीच कराया  और यह उस समय पल्लव वंश का व्यापारिक बंदरगाह था।  

एक किंवदंती के अनुसार, समुद्र में नाविक और व्यापारी दूर से ही मंदिर के शिखर को देख सकते थे और उसका उपयोग करके महाबलिपुरम के समृद्ध बंदरगाह पर पहुँच सकते थे।

इस तरह यह  मंदिर न केवल  भगवान शिव और विष्णु का घर था, बल्कि  उन महान पल्लव राजाओं के प्रभुत्व का प्रतीक भी था।

1984 में इसे यूनेस्‍को के द्वारा विश्‍व विरासत के रूप में वर्गीकृत किया गया था और यह सबसे प्राचीन पत्‍‍थर मंदिरों में से एक है जो देश के दक्षिणी भाग में स्थित है। 

शोर मंदिर महाबलीपुरम

 

शोर मंदिर महाबलीपुरम के सनसनीखेज मिथक क्या हैं?

कुछ समय पूर्व मैंने बी. बी. सी. में प्रकाशित एक लेख पढ़ा जिसमे तटीय मंदिर का वर्णन था |

लेख में बताया गया था कि सर्वप्रथम एक ब्रिटिश यात्री ‘जे गोल्डिंघम ‘ ने, जो सन 1798 में यहाँ आया था, समुद्र के किनारे बसे इस अभूतपूर्व नगर के बारे कुछ लिखा है |

ये नगर नाविकों के बीच सप्त पैगोडा (Seven Pagodas) के नाम से प्रसिद्ध था जिसके अन्य छः मन्दिर समुद्र के भीतर थे और केवल एक यही मन्दिर समुद्र के किनारे बचा है।

एक मिथक अनुसार, इस नगर का इतना आकर्षण था कि देवता भी ईर्ष्यालु हो गए और उन्होंने समुद्र में अथाह जल-प्रवाह भेजा कि एक ही दिन में इसके छः मन्दिर समुद्र की गर्त में समा गए |

यहाँ मिथकों ने अकादमिक सिद्धान्तों को एक प्रकार से असत्य सिद्ध कर दिया |

2003 के आसपास इंग्लैंड के कुछ गोताखोरों ने अपने अन्वेषण के दौरान यह पता लगाया कि अथाह जल के भीतर एक नगरीय सभ्यता के अवशेष हैं |

क्या पता आगे ये अभियान ऐसे ही चलता रहे और हम ऐसी ही अनेक मिथकों को वास्तविकता में परिवर्तित होते देख सकें?

महाबलीपुरम का तटीय मंदिर किस शैली में है | Mahabalipuram Temple Architecture Style

यहाँ पहुँचने पर हमने पाया की महाबलीपुरम के अन्य मंदिरों के विपरीत शोर मंदिर तनिक भिन्न था क्योंकि चक्रवात के कारण इसका पुनर्निर्माण किया गया था | 

यह मंदिर बहुत विशाल तो नहीं है और नमीदार हवा और समुद्री पानी के कारण बहुत सी प्राचीन नक्काशियां भी खराब हो गयी हैं |

मंदिर के आसपास के क्षेत्र को एक सुन्दर पार्क की शक्ल दी गयी है जहाँ हम कुछ देर तक बैठ कर इस विहंगम दृश्य को देख सकते हैं |

द्रविड़ वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है महाबलीपुरम का शोर मंदिर

शोर मंदिर महाबलीपुरम

भारतीय मंदिरों की शैली को दो भागों में बांटा जा सकता है:-

  1. नागरा या उत्तर भारतीय परंपरा 
  2. द्रविड़ियन या दक्षिण भारतीय वास्तुकला शैली

नागरा और द्रविड़ दोनों मंदिरों में एक मुख्य मंदिर (विमान), एक गर्भगृह और सबसे ऊपर एक पिरामिड टावर होता है जिसे शिखर कहते हैं |

महाबलीपुरम के तट मंदिर की अधिरचना में एक अष्टकोणीय गर्दन (ग्रीवा) है, जिसके ऊपर एक गोल स्तूप है |

मंदिर से लगी हुई एक बाहरी दीवार (जिसे प्रकार कहते हैं) और एक गोपुर है  |

महाबलीपुरम का तटीय मंदिर में हमने कुल तीन मंदिर देखे जिसमे एक विष्णु मंदिर और दो शिव मंदिर थे |

इन तीनो मंदिरों में सबसे वृहद् भगवान् शिव का पूर्वमुखी मंदिर था जिसे यहाँ सिंहेश्र्वर कहते हैं |

पश्चिममुखी तनिक छोटे शिव मंदिर का नाम राजसिंहेश्र्वर था |

शिवलिंग विशालकाय और 16 मुखी था |

lord vishnu in mahabalipuram shore temple

प्रांगड़ में शिव वाहन नंदी की भव्य प्रतिमा एवं दक्षिण दिशा में सिंह पर विराजमान माता दुर्गा की एक नक्काशीदार मूर्ती थी | 

दो शिव मंदिरों के मध्य में स्थित एक आयताकार मंदिर दिखा जहाँ भगवान् विष्णु विश्रामरत दिखाई दिए|

    lord vishnu in mahabalipuram temple

पूरा मंदिर एक प्रकार से पांच मंज़िला था और इसकी स्थिति कुछ इस प्रकार से थी कि सूर्य की प्रथम रश्मि इन पर पड़े | 

मंदिर कि दीवारें विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं की आदमकद मूर्तियों से परिपूर्ण थीं |

तट मंदिर के आसपास इन 12 जगहों पर घूमना न भूलें  | Top Places to Visit in Mahabalipuram

shore temple mahabalipuram

वैसे तो महाबलीपुरम अपने आप में ही एक बड़ा आकर्षण का केंद्र है और इसे देखने के लिए पूरा दिन भी कम पड़ेगा पर तटीय मंदिर के अलावा आप इन स्थानों पर ज़रूर जाएँ –

1. पांच रथ मंदिर | Pancha Rathas Temple

महाभारत के पांच पांडवों के नाम पर इन रथों को पांडव रथ कहा जाता है।

पांच में से चार रथों को एक ही चट्टान पर उकेरा गया है।

2. अर्जुन तपस्या स्थल | Arjuna’s Penance

यह स्थान एक विशालकाय शिलाखंड है जो अपनी उत्कृष्ट नक्काशी के लिए प्रसिद्द है। 

इस विशाल शिलाखंड पर ईश्वर, मानव, पशुओं और पक्षियों की विभिन्न आकृतियां उकेरी गई हैं।

3. तिरुक्कडल्लमलाई मंदिर | Thirukadalmallai Temple

यह स्थान भगवान विष्णु को समर्पित है ।

यह पल्लव राजाओं द्वारा समुद्र से मूर्तियों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था।

4. कृष्ण का माखन लड्डू | Krishna’s Butter Ball

 कृष्णा बटरबॉल एक विशाल प्राकृतिक चट्टान है, जो पहाड़ी पर एक तीव्र कोण पर स्थित है|

यह कुछ इस तरह टिका है कि इसको देखने से ऐसा लगता है यह भौतिक विज्ञान के सभी नियमों का उलंघन करता हो |

5. कृष्ण मंडपम | Krishna Mandapam

 यह मंदिर महाबलिपुरम के प्रारंभिक पत्थरों को काटकर बनाए गए मंदिरों में एक है।

मंदिर की दीवारों पर ग्रामीण जीवन की झलक देखी जा सकती है।

एक चित्र में भगवान कृष्ण को गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाए दिखाया गया है।

6. गुफाएं | Caves

वराह गुफा विष्णु के वराह और वामन अवतार के लिए प्रसिद्ध है।

पल्लव वंश के चार मननशील द्वारपालों की गुफा एवं सातवीं शताब्दी की महिसासुर मर्दिनी गुफा भी अपनी खूबसूरत नक्काशियों के लिए बहुत लोकप्रिय है।

7. क्रोकोडाइल बैंक | Crocodile Bank

महाबलिपुरम से 14 किलोमीटर दूर चैन्नई- महाबलिपुरम रोड़ पर क्रोकोडाइल बैंक स्थित है जहाँ मगरमच्छों को पाला जाता है ।

इसके नजदीक ही सांपों का एक फार्म भी है।

8. मूर्ति संग्रहालय | Museum

राजा स्ट्रीट के पूर्व में स्थित इस संग्रहालय में स्थानीय कलाकारों की 3000 से अधिक मूर्तियां देखी जा सकती हैं।

संग्रहालय में रखी मूर्तियां पीतल, रोड़ी, लकड़ी और सीमेन्ट की बनी हैं। प्रवेश शुल्क 5 रु है |

9. मुट्टुकाडु | Muttukadu

वाटर स्पोर्ट्स के लिए प्रसिद्द यह स्थान महाबलिपुरम से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है |

यहां नौकायन, केनोइंग, कायकिंग और विंड सर्फिंग जैसी जलक्रीड़ाओं का आनंद लिया जा सकता है।

 10. कोवलम | Kovalam

महाबलिपुरम से 20 किलोमीटर दूर कोवलम बीच है जहाँ पर एक किले के अवशेष देखे जा सकते हैं।

यहां तैराकी, विंड सर्फिंग और वाटर स्पोर्ट्स की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं।

11. पुराने और नए लाइट हाउस | Light House

तटीय मंदिर के निकट ही बने हुए लाइट हाउस समुद्र पार के क्षेत्र के विहंगम दृश्य प्रदान करते हैं।

12. टाइगर केव | Tiger Cave

चेन्नई से महाबलीपुरम जाते समय टाइगर केव ईस्ट कोस्ट मार्ग पर पड़ता है |

बाघ गुफा वास्तव में एक स्मारक जैसा है जिसको 8 वीं शताब्दी में पल्लवों द्वारा निर्मित महाबलीपुरम के नक्काशीदार मंदिरों में से एक माना जाता है। 

शोर मंदिर महाबलीपुरम के लिए 15 बेहतरीन यात्रा टिप्स | Mahabalipuram Best Travel Tips 

महाबलीपुरम का तटीय मंदिर

1. तटीय मंदिर में प्रवेश के लिए  टिकट की बिक्री 5:30 बजे बंद हो जाती है इसलिए समय का ध्यान रखें |

2. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय शोर मंदिर में जाना सबसे अच्छा है यदि आपको फोटोग्राफी में रुचि हो तब |

3. शोर मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है पर वीडियोग्राफी के लिए प्रति व्यक्ति 25 रुपये का भुगतान करना पड़ता है।

4. महाबलीपुरम का तटीय मंदिर शहर के बस स्टैंड के पास ही स्थित है ।

आपका मार्गदर्शन करने के लिए पर्याप्त साइन बोर्ड यहाँ उपलब्ध  हैं | अतः प्राइवेट गाइड से बचें |

5. यहाँ पर पर्याप्त पार्किंग की भी व्यस्था है और एक ही टिकट में आप तटीय मंदिर, पांच रथ मंदिर और कृष्ण बटरबाल क्षेत्र में अपनी गाड़ी पार्क कर सकते हैं |

6. यदि आप दोपहर में इस स्थान पर आ रहे हैं तब अपने साथ पानी बोतल और कैप रखना न भूलें |

बाहर की दुकानों कर कैप बहुत महंगी बिकती है |

7. शाम को कुछ देर तक संलग्न बगीचे में बैठ कर ठंडी हवा और विहंगम दृश्य का आनंद लें |

8. समुद्र पास में होने के बावजूद यह स्थान बहुत गर्म रहता है इसलिए हो सके तो 10  बजे से पहले या फिर 4 बजे के बाद का प्रोग्राम बनायें |

9. टिकट खिड़की के पास से 60 रु में ASI की एक गाइड खरीद लें जिससे आपको यहाँ के बारे में काफी जानकारी मिल जाएगी |

हांलाकि प्राइवेट गाइड 250-500 में मिल जाएँगे पर इसके लिए आपको मोल भाव करना होगा |

10. जहाँ तक हो सके अपने पास पर्याप्त कैश रखें क्योकि यहाँ पर एटीएम होने के बावजूद भी कई बार उनमे पैसा नहीं रहता है |

11. टिकट खिड़की पर फुटकर पैसे ले कर जाएँ |

12. खाने के लिए आसपास बहुत सारे फूड स्टाल्स और रेस्टोरेंट उपलब्ध हैं |

हमने यहाँ से निकटतम The wharf restaurant में खाना खाया था जो समुद्र के बिलकुल निकट था|

13. हो सके तो समुद्र के भीतर न जाएँ क्योंकि कई बार बड़ी लहरें भी आती रहती हैं |

14. रूकने के लिए शोर टेम्पल के आसपास हर दाम में होटल उपलब्ध हैं |

15. सप्ताहांत में यहाँ पर बहुत भीड़ हो जाती है अतः शनिवार/रविवार/अन्य छुट्टी के दिनों को छोड़कर यहाँ आना बेहतर होगा | 

और अंत में …

तटीय मंदिर महाबलीपुरम में वो सब कुछ है जो एक पर्यटक को चाहिए और इसीलिए यहाँ सभी मौसम में भीड़-भाड़ रहती है |

आप यहाँ पर उत्कृष्ट भारतीय वास्तुकला, समुद्र, मंदिर, पर्वत, हरियाली से लेकर मज़ेदार खान पान का भी आनंद ले सकते हैं |

तब देर किस बात की है, अब जब भी चेन्नई आना हो तब महाबलीपुरम में शोर मंदिर को देखना न भूलें|

हमें कमेंट कर बताएं  की हमारा यह यात्रा विवरण आपको कैसा लगा और आप महाबलीपुरम के बारे में और क्या जानकारी चाहते हैं?

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