Last Updated on September 11, 2023 by अनुपम श्रीवास्तव
फोटोग्राफी में आपने अक्सर डेप्थ ऑफ फील्ड या DOF के बारे में जरूर सुना होगा जिसे अकसर किसी फोटो की क्वालिटी के साथ जोड़ कर देखा जाता है |
बहुत ही सरल शब्दों में किसी कहा जाये तब किसी सब्जेक्ट के आगे और पीछे तक का कितना हिस्सा पूरे फोकस में है Depth of Field कहलाता है |
यह सही है कि फोटोग्राफी में DOF को कण्ट्रोल कर आप अपनी तस्वीरों में बेहतरीन प्रभाव पा सकते हैं और इसीलिए इसे समझना बहुत ज़रूरी हो जाता है |
आज अपनी इस बातचीत में हम जानेंगे :-
- डेप्थ ऑफ फील्ड क्या है और कितने तरह का होता है?
- इसे कैसे कण्ट्रोल कर सकते हैं?
- कैमरा सेंसर का DOF पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- क्या बढ़िया डेप्थ ऑफ फील्ड के लिए फुल फ्रेम कैमरा ही बेहतर है?
तो फिर देर किस बात कि आगे बढ़ने से पहले यात्राग्राफी को सब्सक्राइब करें जिससे ऐसी तमाम जानकारी आप से कभी मिस न हो |
डेप्थ ऑफ फील्ड क्या है | What is Depth of Field (DOF) in Photography?
अगर आप photography में कुछ समय से हैं तब आपने अक्सर बड़े फोटोग्राफर लोगों को कहते सुना होगा कि बढ़िया फोटो लेने के लिए depth of field में मास्टरी जरूरी है |
एक तरह से देखा जाये तब यह कम्पोजीशन का ही एक भाग है जो आप की तस्वीरों को साधारण से बेहतरीन बनाता है |
डेप्थ ऑफ फील्ड की मदद से मुख्य सब्जेक्ट को अनचाही चीज़ों से अलग किया जा सकता है जिससे सबका ध्यान तुरंत ही मुख्य सब्जेक्ट पर केन्द्रित हो जाये |
आपने अक्सर प्रोफेशनल पोर्ट्रेट में देखा होगा कि कैसे पूरा बैकग्राउंड ब्लर हो जाता है और मेन सब्जेक्ट की तस्वीर बिलकुल उभर कर आती है |
हांलाकि देखने और सुनने में तो यह बहुत आसान लगता है पर असल में मनचाहा इफ़ेक्ट पाना तनिक मुश्किल है क्योंकि इसके लिए थोडा प्रैक्टिस चाहिए |
डेप्थ ऑफ फील्ड किसी फोकल लेंथ पर बना एक ऐसा क्षेत्र है जो बहुत ही शार्प और पूरी तरह फोकस में होता है | |
DOF यानि Depth of Field का मतलब है कि आपके सब्जेक्ट के आगे और पीछे तक का कितना हिस्सा पूरे फोकस में है |
जैसे ऊपर दी गयी तस्वीर में बीच वाला फूल शार्प फोकस में है और आगे और पीछे वाले फूल आउट ऑफ़ फोकस में हैं |
Depth of Field भी दो प्रकार के होते हैं |
1. शैलो डेप्थ ऑफ फील्ड | Shallow Depth of Field
शैलो डेप्थ ऑफ़ फील्ड का मतलब है आपके सब्जेक्ट का बैकग्राउंड पूरा ब्लर या आउट ऑफ़ फोकस है |
कई बार shallow depth of field में foreground और background दोनों out of focus रहते हैं और बीच का एक हिस्सा ही शार्प फोकस में होता है |
अधिकतर पोर्ट्रेट और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में इसका प्रयोग किया जाता है जिससे आपका ध्यान आपके मेन सब्जेक्ट पर ही जाये और बैकग्राउंड पर नहीं |
अब जैसे आप यह फोटो देखें जिसमें बैकग्राउंड पूरा ब्लर हो गया है |
2. लार्ज डेप्थ ऑफ़ फील्ड | Large Depth of Field
लार्ज डेप्थ ऑफ़ फील्ड का मतलब है आपके सब्जेक्ट का आगे और पीछे का हिस्सा पूरा फोकस में है |
इसका प्रयोग अधिकतर लैंडस्केप या आर्किटेक्चर फोटोग्राफी में होता है जिसमे बैकग्राउंड से लेकर फोरग्राउंड तक सब कुछ फोकस में चाहिए |
आप यह फोटो देखें जिसमें सब कुछ पूरा फोकस में है |
तो देखा आपने, फोटो में कैसे अलग अलग प्रकार का प्रभाव डालने के लिए डेप्थ ऑफ फील्ड का प्रयोग किया जाता है |
अब जब आप DOF के बारे में बेसिक बातें जान गए हैं तब आप आगे यह जानना चाहेंगे कि डेप्थ ऑफ फील्ड को हम कैसे कण्ट्रोल कर सकते हैं |
आइये जानते हैं |
डेप्थ ऑफ फील्ड को कैसे कण्ट्रोल किया जाता है | How to Control Depth of Field in Camera?
अपनी फोटो में DOF को मुख्यतः तीन तरीकों से नियंत्रित किया जा सकता है |
1. लेंस का अपर्चर | Lens Aperature
अपर्चर किसी लेंस के भीतर बना हुआ वह छेद होता है जिससे होकर लाइट कैमरे के भीतर आती है और इसी को बदल कर हम डेप्थ ऑफ फील्ड को बदल सकते हैं |
जैसे शैलो DOF या बढ़िया Bokeh पाने के लिए आपको हमेशा बड़े अपर्चर यानि कम F नंबर का उपयोग करना होगा |
उदहारण के लिए f1.8, f2 या f2.8 |
यह आपके लेंस पर निर्भर करता है कि कि वह कितने कम से कम F number तक जा सकता है |
अब जैसे आप ऊपर दी गयी फूल वाली फोटो देखें जो मैंने f2.8 पर ली थी और इसमें बैकग्राउंड पूरा ब्लर हो गया है |
वहीँ अगर आपको सब कुछ फोकस में रखना है (लार्ज डेप्थ ऑफ़ फील्ड) तब इसके लिए लेंस का अपर्चर छोटा ( F number बड़ा ) होना चाहिए |
उदहारण के लिए f8, f11 या f16 |
आप ऊपर दिया गया लैंडस्केप फोटो देखें जो मैंने f11 पर खींची थी और इसमें सब कुछ पूरा फोकस में है |
बड़ा अपर्चर = कम f नंबर (f /1.4, f /1.8, f /2) = शैलो डेप्थ ऑफ़ फील्ड |
छोटा अपर्चर = बड़ा f नंबर (f /8, f /11, f /16)= लार्ज डेप्थ ऑफ़ फील्ड |
2. फोकल लेंथ | Focal Length
किसी लेंस का फोकल लेंथ बताता है कि आप दूरी पर स्थित किसी सब्जेक्ट को कितना मैग्नीफाई या ज़ूम दिखा सके हैं |
उदाहरण के लिए – 24 mm वाइड एंगल लेंस होता है वहीँ 70mm एक टेली या ज़ूम लेंस होता है जिसकी मदद से आप कुछ दूरी से ही क्लोज अप शॉट ले सकते हैं |
पहली बार के लिए यह आपको जरा सा मुश्किल लग सकता है पर आप जाने लें कि –
बड़ा फोकल लेंथ = शैलो डेप्थ ऑफ़ फील्ड |
छोटा फोकल लेंथ = लार्ज डेप्थ ऑफ़ फील्ड |
इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप दूरी पर खड़े रह कर अधिकतम ज़ूम करेंगे तब आपको शैलो DOF मिलेगी |
आप इसका फायदा अपने किट लेंस (18-55mm) पर ले सकते हैं जिसमें कम अपर्चर होते हुए भी 55mm ज़ूम लेने पर संतोषजनक शैलो डेप्थ ऑफ फील्ड मिल जायेगा |
उदहारण के लिए आप ऊपर दी गयी फोटो देखें जो मैंने 135mm तक ज़ूम कर के ली है और जिसमें बैकग्राउंड ब्लर हो गया है |
3. सब्जेक्ट की दूरी | Distance from Subject
इस चीज़ को हम दो तरीके से समझ सकते हैं –
i. सब्जेक्ट की कैमरे से दूरी | Subject Distance from Camera
आपका सब्जेक्ट जितना कैमरे के पास होगा उतना ही शैलो डेप्थ ऑफ़ फील्ड आपको मिलेगा पर इसके लिए आपको बड़ा अपर्चर का प्रयोग करना होगा |
अब जैसे जैसे आप उसी फोकल लेंथ पर सब्जेक्ट से दूरी बढाते जायेंगे तब आपका DOF और वाइड होता जायेगा |
यदि आपके पास बड़ा अपर्चर वाला लेंस नहीं है तब भी आप एक निश्चित दूरी से ज़ूम कर के भी शैलो DOF पा सकते हैं पर इस दशा में आपका फील्ड ऑफ़ व्यू भी छोटा हो जायेगा |
ii. सब्जेक्ट की बैकग्राउंड से दूरी | Subject Distance from Background
मान लें आपके पास बड़े अपर्चर वाला लेंस है और आपके सब्जेक्ट के ठीक पीछे कोई दीवार है तब इस दशा में आपको शैलो डेप्थ ऑफ फील्ड नहीं मिलेगा |
इसके लिए आपको बैकग्राउंड से उचित दूरी बनानी होगी जिससे पीछे का एरिया आउट ऑफ़ फोकस हो जाये |
कैमरा सेंसर का DOF पर क्या प्रभाव पड़ता है | Effect of Camera Sensor Size on Depth of Field
अभी तक आपने देखा कि किसी लेंस के अपर्चर, सब्जेक्ट से दूरी और काफी हद तक फोकल लेंथ को नियंत्रित कर के हम डेप्थ ऑफ फील्ड को बदल सकते हैं |
अब आते हैं एक जरूरी प्रश्न पर –
क्या किसी कैमरे के सेंसर का साइज depth of field को कैसे प्रभावित कर सकता है?’
संक्षेप में कहा जाये –
सेंसर का आकार, डेफ्थ ऑफ़ फील्ड को प्रभावित नहीं करता है। यह केवल फोकल लेंग्थ, एपर्चर और सब्जेक्ट से दूरी है जो डेफ्थ ऑफ़ फील्ड को प्रभावित कर सकती है |
अब आप पूछेंगे कैसे ?
सभी कैमरा सेल्समेन यही तो कहते हैं कि फुल फ्रेम सेंसर वाला कैमरा ले लो इससे शैलो डेप्थ ऑफ़ फील्ड मिलेगी और बढ़िया बैकग्राउंड ब्लर बनेगा |
यह भी आजकल एक जारगन जैसा ही बन गया है और सब येही समझते हैं कि इसके लिए बिना फुल फ्रेम कैमरे के काम नहीं चलेगा |
अभी तो मेरे पास फुल फ्रेम कैमरा नहीं है पर जल्द ही आपको इससे जुड़ी तस्वीरें भी दिखाऊंगा पर तब तक के लिए मैं अपने पॉइंट को कुछ फार्मूला से सिद्ध करूंगा |
केस – 1
सबसे पहले हम निकोन का एक फुल फ्रेम कैमरा (जैसे D850) लेते हैं जो एक फुल फ्रेम सेंसर कैमरा है |
एक लेंस लेते हैं जिसका फोकल लेंग्थ – 50 mm और अपर्चर f/2.8 है |
मान लें कि कैमरा से सब्जेक्ट से दूरी 2 m है
अब इसका डेप्थ ऑफ़ फील्ड निकालते हैं | (इन्टरनेट पर कई कैलकुलेटर मौजूद हैं पर हमने फोटो पिल्स का उपयोग किया है )
अब आप फ्रंट और बिहाइंड डेप्थ ऑफ़ फील्ड की संख्या देखें और आगे चलें |
केस -2
अब हम निकोन का एक क्रॉप सेंसर कैमरा (जैसे D3400) लेते हैं |
समान लेंस लेते हैं जिसका फोकल लेंग्थ – 50 mm और अपर्चर f/2.8 है |
कैमरा से सब्जेक्ट से दूरी 2 m है
अब इसका डेप्थ ऑफ़ फील्ड निकालते हैं |
अब यही फ्रंट और बैक की संख्या देखने से आपको क्या पता चला |
भई , समान लेंस और दूरी रखने पर भी बेहतर शैलो डेप्थ ऑफ़ फील्ड क्रॉप सेंसर में मिल रहा है |
पर यह तो बिलकुल उल्टा हो गया, हमें तो कुछ और ही बताया जाता है |
जानते हैं यह क्यों हुआ –
इसका कारण है फोकल लेंथ जो निकोन D3400 के केस में 50mm न होकर बन जाएगी –
50 x 1.5 = 75 mm (निकोन D3400 में 1.5 X का क्रॉप होता है जबकि D850 में 1 X का क्रॉप है )
वहीँ D850 में यह 50 x 1 = 50 mm ही होगी |
केस -3
अब हम D850 में 75 mm का लेंस लगायेंगे तब परिणाम देखेंगे |
अब देखिये, बड़े focal length पर आपको बेहतर शैलो डेप्थ ऑफ फील्ड मिल गयी |
कुल मिला कर कहा जाये –
फोकल लेंथ नाटकीय रूप से डेप्थ ऑफ़ फील्ड को प्रभावित करता है और सेंसर का आकार कुछ हद तक ही डेप्थ ऑफ़ फील्ड को प्रभावित कर सकता है |
सेंसर के आकार प्रकार के कारण फील्ड ऑफ़ व्यू छोटा बड़ा हो सकता है न कि डेप्थ ऑफ़ फील्ड और यही बात आपको ध्यान में रखना है |
पर यह सेंसर आकार और DOF वाली बात बहुत छोटे सेंसर (अधिक क्रॉप) जैसे स्मार्टफोन या पॉइंट एंड शूट कैमरा के लिए लागू नहीं होती है जिसे हम आगे देखेंगे |
क्या कैमरा फोन में डेप्थ ऑफ फील्ड मिलना संभव है | Can Mobile Camera Create Depth of Field?
अक्सर आपने देखा होगा कि जब भी हम कैमरा फोन से फोटो लेते हैं ख़ास कर पोर्ट्रेट मोड पर तब बैकग्राउंड में हमें शैलो डेप्थ ऑफ़ फील्ड मिलता है |
आपको यहाँ जानकार आश्चर्य होगा कि यह नकली DOF या बैकग्राउंड ब्लर होता है जो सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है और इस प्रक्रिया को कम्प्यूटेशनल फोटोग्राफी कहते हैं |
अब आप पूछेंगे कि आजकल f/1.5 से f/2.2 तक अपर्चर वाले लेंस आ रहे हैं तब भी मोबाइल कैमरा क्यों असली डेप्थ ऑफ़ फील्ड नहीं दे पाता है?
इसका कारण है स्मार्टफोन का बहुत छोटा सेंसर होता है और इसमें करीब 7 – 8 X का क्रॉप फैक्टर होता है |
पर इसे होगा क्या?
मान लें आपने कहा कि मेरे कैमरा फोन में 28mm फोकल लेंथ और f/1.5 का लेंस है तब भी बढ़िया और असली बैकग्राउंड ब्लर क्यों नहीं बन रहा है |
स्मार्टफोन कैमरा में आपका 28mm फोकल लेंथ बन जाएगा 28/7 = 4mm (35mm स्टैण्डर्ड के लिए)
उसी तरह से अपर्चर बन जाएगा f/1.5 * 7 = f/11 (निकटतम)
तब आप देख सकते हैं कि इतने वाइड एंगल (4mm) और छोटे अपर्चर ( f/11) पर डेप्थ ऑफ़ फील्ड मिलना लगभग असंभव है |
और अंत में…
तो देखा आपने फोटोग्राफी में Depth of Field का क्या महत्त्व है और इसे कण्ट्रोल कर आप कैसे एक से बढ़ कर एक फोटो खींच सकते हैं |
किसी लेंस का फोकल लेंथ, एपर्चर और सब्जेक्ट से दूरी ही वो ख़ास चीज़ें हैं जो आपको ध्यान में रखनी हैं |
यदि आपके पास बड़ा अपर्चर वाला लेंस नहीं है तब भी आप अधिकतम ज़ूम कर के डेप्थ ऑफ़ फील्ड पा सकते हैं पर यह कैमरा फोन के लिए अभी तो संभव नहीं है |
हमें कमेंट कर बताएं कि आपको यह बातचीत कैसी लगी और आप फोटोग्राफी के विषय में और क्या जानना चाहते हैं?
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Depth of Field in Photography FAQ
A. Depth of Field का मतलब है क्षेत्र की गहराई | यह बताता है कि किसी सब्जेक्ट के आगे और पीछे तक का कितना हिस्सा पूरे फोकस में है |
A. Depth camera यह मापता है कि कैमरे से किसी सब्जेक्ट की दूरी कितनी है | उसके बाद यह मुख्य सब्जेक्ट को हाईलाइट करके बाकी के हिस्सों ब्लर कर देता है |
A. DOF का फुल फॉर्म होता है Depth of Field.
A. Shallow Depth of Field का मतलब है आपके सब्जेक्ट का बैकग्राउंड पूरा ब्लर या आउट ऑफ़ फोकस है |
A. जब भी बड़े अपर्चर पर फोटो खींचते हैं तब बैकग्राउंड आउट ऑफ़ फोकस या ब्लर हो जाता है इसी को बोकेह कहा जात्ता है |